3RD EYE ASTRO WORLD(REG)
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🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏💛🙏🙏
BY राजा पंडित"आराध्य"
09236553033
🙏🙏🙏🙏🙏
🚩🚩🚩🚩
मित्रो आज जो मै कांसेप्ट लिख लिख रहा हु व् बड़ा अटपटा है
हो सकता है आप को भी बुरा लगे 🚩
जब कुंडली में सूर्य+राहु की युति की युति होती है
या इन दोनो की दृस्टि नवम नवम भाव या तृतीय भाव पर पड़ती है तो लोग "पितृ दोष "में आ जाते है
🚩मित्रो आपको ज्ञात है की
सूर्य-पिता का कारक
राहु -दादा (पितामह) का कारक
चुकी राहु इक छाया ग्रह है
मतलब पित्र भी छाया के ही जैसे होते है उनका सरीर नहीं होता है
इस कारण से जब राहु की युति सूर्य से होती है तो पित्र दोष का योग बनता है🌿🌿🌿
मित्रो सोचिये की पिता व् दादा का संयोग को लोग पित्र दोष की श्रेणी में ला देते है
लोग इस युति पर नेगेटिव ही बोलते है🚩🚩पर मित्रो आपको ये मालूम होना चाहिए की ये योग ये आपको सूचित करता है की आपके पित्र आपसे कितना प्यार करते है की आपके साथ हमेसा रहते है मित्रो ये योग मेरे हिसाब से बहुत अछा है
क्योंकि आपको "पिता के साथ पित्र का भी"असिरवाद मिल रहा है
मेरे तर्क है की मै दुनिया में अगर आया हु तो इसमें पित्र का बहुत असिरवाद होता है इस्वर भी पित्र में वास् करता है
🚩
पित्र हमें जीवन में बहुत कुछ देकर जाते है लोग बोलते है की
ये सम्पति मेरे पूर्वज ने हमें प्रदान किया है या उनकी है
मतलब उनकी सम्पति यूज़ करने का हमें हक़ है तो उनकी सेवा भी करना हमरा हक़ बनता है
🌿🌿🚩🙏🚩
मित्रो मतलब साफ़ की पित्र दोष वास्तव में होता ही नहीं पित्र कभी भी अपने वंसज का विनास नहीं करते लेकिन अगर उनकी नियमित पूजा व् उनके नाम का दान न किया जाये तो वो जातक की "मिरतु तुल्य "
कास्ट प्रदान करते है
🙏👉मित्रो जाहिर सी बात है की ये योग ये आपको दर्षाता है की आपका पितृ के प्रति जो ऋन है उसकी अछे से चूक दीजिये
🚩🌿🌿🌿🌷
मतलब साफ़ अगर मेरे पित्र हमसे खुश नहीं है तो हमें इस्वर व् गुरु की कृपा नहीं मिलती है ।मतलब 9 भाव का स्वामी गुरु
होता है 🙏👉मतलब मित्रो आपकी कुण्डली में जब 9 भाव में पित्र योग बनता है तो आगर आप पित्र को खुस नहीं करते है तो आपका'"गुरु"कभी भी मतलब आपका धर्म व् गुरु व् देव
🌿🌿🙏 कभी भी आपका साथ नहीं देंगे
👉मित्रो मैं जो लिखा हु अगर आपको बुरा लगे तो मैं आपसे दोनों हाथ🙏🙏🙏❤🙏 जोड़कर छःमाँ
मागता हु
🙏🙏🌿👉👉❤❤
🙏➡राजा पंडित
3RD EYE ASTRO WORLD
09236553033,09431372233
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सूर्य-पिता का कारक
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मित्रो सोचिये की पिता व् दादा का संयोग को लोग पित्र दोष की श्रेणी में ला देते है
लोग इस युति पर नेगेटिव ही बोलते है🚩🚩पर मित्रो आपको ये मालूम होना चाहिए की ये योग ये आपको सूचित करता है की आपके पित्र आपसे कितना प्यार करते है की आपके साथ हमेसा रहते है मित्रो ये योग मेरे हिसाब से बहुत अछा है
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मेरे तर्क है की मै दुनिया में अगर आया हु तो इसमें पित्र का बहुत असिरवाद होता है इस्वर भी पित्र में वास् करता है
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पित्र हमें जीवन में बहुत कुछ देकर जाते है लोग बोलते है की
ये सम्पति मेरे पूर्वज ने हमें प्रदान किया है या उनकी है
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मित्रो मतलब साफ़ की पित्र दोष वास्तव में होता ही नहीं पित्र कभी भी अपने वंसज का विनास नहीं करते लेकिन अगर उनकी नियमित पूजा व् उनके नाम का दान न किया जाये तो वो जातक की "मिरतु तुल्य "
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मतलब साफ़ अगर मेरे पित्र हमसे खुश नहीं है तो हमें इस्वर व् गुरु की कृपा नहीं मिलती है ।मतलब 9 भाव का स्वामी गुरु
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